मध्यप्रदेश:- 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है. इस दिन सांता क्लॉज खुशियां बांटता है और बच्चों को गिफ्ट्स देता है. इस दिन सांता के साथ-साथ ज्यादातर लोग लाल रंग के कपड़े पहनकर सेलिब्रेट करते हैं।
अब सवाल उठता है कि इस दिन लोग लाल रंग का ही कपड़ा क्यों पहनते हैं. दरअसल, कहा जाता है कि लाल रंग खुशी और प्यार का प्रतीक है और इसे जीसस क्राइस्ट के खून का प्रतीक भी माना जाता है.
यह रंग उनके द्वारा दूसरों के प्रति बेपनाह प्यार को दर्शाने के लिए है, जिससे वे मानवता का संदेश सुनाना चाहते थे. यही वजह है कि इस खास दिन पर सांता क्लॉज और लोग लाल रंग के कपड़े पहनते हैं.
वहीं दूसरी ओर एक दावा ये भी है कि इसका संबंध कोका-कोला की मार्केटिंग स्ट्रैटेजी से है. दरअसल, 1930 में, डी आर्की विज्ञापन एजेंसी ने एक आम आदमी को सांता बनाया और उसे लाल कपड़ों में दिखाया. ये ऐड काफी लोकप्रिय हुआ और लोगों के बीच इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनने का चलन शुरू हो गया.
वहीं लाल रंग को ग्रीक बिशप संत निकोलस से भी जोड़ कर देखा जाता है. दरअसल, संत निकोलस गरीबों को और बच्चों को लाल रंग के कपड़े पहन कर गिफ्ट्स दिया करते थे. यही वजह है कि सांता क्लॉज भी लाल रंग के कपड़े पहन कर ऐसा करता है.
इसके अलावा लाल रंग के कपड़े पहनने पर एक बात ये भी कही जाती है कि, 1823 में क्लेमेंट मार्क मूर नाम के एक कवि ने ‘ए विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस’ शीर्षक से एक कविता लिखी और उन्होंने इस कविता के आधार पर ही लाल कपड़े वाले सांता की कल्पना की.
हालांकि, इस दिन को लेकर लाल रंग का कोई स्पष्ट इतिहास नहीं है, लेकिन क्रिसमस के इस मौके पर, लाल रंग हमें खुशी, प्यार, और सांता के आदर्शों का स्मरण कराता है।