हैदराबाद:- तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में लुप्तप्राय प्रजातियों की संरक्षण प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने एक अग्रणी उपलब्धि हासिल करते हुए, लुप्तप्राय तिब्बती मृग से प्राप्त शतुश ऊन और पारंपरिक रूप से कश्मीरी बकरियों से प्राप्त पश्मीना ऊन के बीच अंतर करने के लिए दुनिया की पहली डीएनए-आधारित तकनीक विकसित की है. इस नई विधि को अब भारत में पेटेंट मिल गया है, जबकि अमेरिका, कनाडा और यूरोप में इसके लिए आवेदन लंबित हैं.
इस शोध का नेतृत्व डॉ. कार्तिकेयन वासुदेवन ने किया, जिन्होंने ईनाडु को बताया कि यह तकनीक स्तनधारी बालों से डीएनए निष्कर्षण की अनुमति देती है, जो एक ऐसी सफलता है, जो मिश्रित नमूनों में भी ऊन के प्रकारों की त्वरित और विश्वसनीय पहचान करने में सक्षम बनाती है.
शतुश के अवैध व्यापार से हो रही समस्या
शतुश शॉल लुप्तप्राय तिब्बती चिरू मृग के महीन बालों का इस्तेमाल करके बनाई जाती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय संरक्षण कानूनों के तहत प्रतिबंधित है. हालांकि, इसका अवैध व्यापार भी जारी है. कच्चे शतुश को अक्सर तिब्बती सीमा पार करके कश्मीर और लद्दाख में तस्करी करके लाया जाता है, जहां इसे प्रामाणिक पश्मीना के साथ मिलाया जाता है. दोनों प्रकार के ऊन में अंतर न कर पाने के कारण हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर सीमा शुल्क विभाग द्वारा जब्ती भी की जाती है, जिससे वैध पश्मीना निर्यात में भी भारी गिरावट आई है.
कश्मीरी व्यापारियों और बुनकरों के अनुरोध पर, LACONS के वैज्ञानिकों ने एक समाधान पर काम करना शुरू किया. एक साल के कठोर शोध के बाद, टीम ने तिब्बती मृग के लिए विशिष्ट एक यूनीक माइटोकॉन्ड्रियल DNA प्राइमर की पहचान की. इसका इस्तेमाल करके, वे मिश्रित ऊन उत्पादों में भी शतुश की उपस्थिति का विश्वसनीय रूप से पता लगाने में सक्षम थे.
नई DNA तकनीक का वैश्विक महत्व
डॉ. वासुदेवन ने कहा कि “यह तकनीक संरक्षण और कमर्शियल दोनों के लिए एक बड़ा बदलाव है. यह न केवल लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करता है, बल्कि कश्मीर में असली पश्मीना कारीगरों की आजीविका की भी रक्षा करता है.” भारत में सफल पेटेंट एक बड़ी उपलब्धि है, और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय मंजूरी मिलने की उम्मीद है. इस वैज्ञानिक सफलता से जल्द ही सीमा शुल्क निकासी में तेजी आ सकती है. प्रामाणिक पश्मीना निर्यात में फिर से जान आ सकती है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर वन्यजीव संरक्षण कानूनों का बेहतर ढंग से पालन हो सकता है.