नई दिल्ली : दूसरे दौर के लिए नामांकन शुरू हो चुका है, समाजवादी पार्टी अभी टिकटों के बंटवारे को लेकर ही उलझी हुई है। पहले दौर में बिजनौर, मुरादाबाद और रामपुर की सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर असमंजस रहा। गौतमबुद्धनगर में दूसरी बार प्रत्याशी बदला गया, मेरठ में सपा ने भानु प्रताप सिंह का टिकट काट दिया है। पेश है सैयद यासिर रजा की रिपोर्ट…
समाजवादी पार्टी एक बार फिर टिकटों के फेरबदल में उलझ गई है। कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी के लिए टिकटों का बंटवारा सिर दर्द बन गया है। पश्चिमी यूपी में पार्टी अब तक चार सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित करने के बाद बदल चुकी है। मेरठ में प्रत्याशी को लेकर मंथन जारी है। गौतमबुद्धनगर सीट से दो बार प्रत्याशी बदले जा चुके हैं। ऐसा नहीं है कि समाजवादी पार्टी में ऐसा पहली बार हो रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने कई सीटों पर घोषित करने के बाद अपने प्रत्याशी बदल दिए थे।
अब लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी की ओर से यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टिकटों को बदलने के लिए ज्यादा मौका नहीं मिला था। सहारनपुर और मेरठ की कुछ सीटों पर असमंजस था। पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन कर के चुनाव लड़ रही थी। सीटों के बंटवारे में मेरठ जिले की सिवालखास सीट रालोद के खाते में चली गई थी। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने गुलाम मोहम्मद को यहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच मनमुटाव बढ़ा तो बीच का रास्ता निकाला गया। सीट रालोद के ही खाते में रही और प्रत्याशी सपा का हो गया। यानी सपा के प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद रालोद के टिकट पर चुनाव लड़े। गुलाम मोहम्मद इस सीट पर लगभग नौ हजार 200 वोटों से जीत कर विधायक बन गए।
सहारनपुर में स्थिति जटिल रही
सहारनपुर की देवबंद और सहारनपुर सीट को लेकर अंतिम समय तक असमंजस बना रहा। देवबंद से सपा ने पहले माविया अली को टिकट दिया था। एन मौके पर माविया का टिकट काटकर कार्तिकेय राणा को दे दिया। एक मौका ऐसा भी आया जब देवबंद सीट से सपा के दोनों प्रत्याशियों ने नामांकन कर दिया।
हालांकि बाद में कार्तिकेय के सिंबल को वैध माना गया और माविया अली का पर्चा खारिज हो गया। चुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी यह सीट लगभग सात हजार वोटों से हार गई। इसी तरह सहारनपुर में इमरान मसूद चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी से समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। माना जा रहा था कि उन्हें सपा सहारनपुर या बेहट से अपना प्रत्याशी बनाएगी। लेकिन सपा ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। इसी तरह 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन होने के बावजूद असमंजस की स्थिति बनी रही थी।
मेरठ-हापुड़ सीट : आठ बैठकों के बाद प्रत्याशी बदलने का फैसला
लोकसभा चुनाव में मेरठ का टिकट घोषित होने से पहले समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ शीर्ष नेतृत्व ने मंथन किया था। आखिर में भानु प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया। भानु प्रताप सिंह का टिकट घोषित होने के फौरन बाद उनका टिकट बदले जाने की चर्चा शुरू हो गई। इसके लिए लखनऊ में समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ मेरठ के पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं की सात बार बैठक हुई। बताया गया कि भानु प्रताप सिंह का चुनाव उठ नहीं पा रहा है। ऐसे में किसी स्थानीय नेता को इस सीट से चुनाव लड़ाया जाए। इसमें दो नाम सबसे प्रमुख थे, योगेश वर्मा और अतुल प्रधान। योगेश वर्मा के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। बात योगेश की पत्नी को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर भी हुई। भानु प्रताप सिंह का टिकट कटने का एलान तो हो गया, लेकिन नए प्रत्याशी पर फैसला आज भी नहीं हो सका।
बिजनौर में भी बदलना पड़ा टिकट
टिकट बिजनौर में भी बदला गया। यहां पहले यशवीर सिंह को टिकट दिया गया था। यहां भी टिकट दिए जाने के बाद से ही टिकट के बदलाव की मांग शुरू हो गई थी। बिजनौर के लिए पहले मेरठ की किठाैर सीट से विधायक शाहिद मंजूर की उम्मीदवारी मजबूत मानी जा रही थी। लेकिन समाजवादी पार्टी ने उनको मौका देने के बजाय सैनी पर दांव लगाया और दीपक सैनी को टिकट दे दिया। बताते हैं कि इस सीट पर टिकट फाइनल करने के लिए पार्टी के नेता चार बार लखनऊ में बैठे, उसके बाद भी वह निर्णय नहीं हुआ जिसकी उम्मीद स्थानीय नेताओं को थी।
गौतमबुद्धनगर में दो बार फेरबदल
इसी तरह गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से भी दो बार समाजवादी पार्टी अपना प्रत्याशी बदल चुकी है। सपा ने यहां पहले महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी बनाया। कुछ ही दिन बाद नागर का टिकट काटकर राहुल अवाना को टिकट दे दिया। फिर परिस्थितियां कुछ ऐसी बदलीं कि सपा ने महेंद्र नागर को दोबारा अपना प्रत्याशी बना दिया। वहीं संभल में सपा के मौजूदा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के कारण अपना टिकट बदलना पड़ा। उनके पोते जियाउर्रहमान को टिकट दे दिया।
मुरादाबाद में उठापटक के बीच रूचिवीरा बनीं प्रत्याशी
इसी तरह मुरादाबाद में भी एसटी हसन को लेकर पार्टी नेतृत्व में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। माना जा रहा है कि इस बार आजम खां एसटी हसन की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे, वहीं रामपुर सीट पर भी अपने पत्ते नहीं खोल रहे थे। नामांकन की अंतिम तारीख से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने दिल्ली में पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम मोहिबुल्ला को रामपुर से अपना प्रत्याशी बना दिया वहीं मुरादाबाद से एसटी हसन का टिकट काट कर रूचिवीरा को प्रत्याशी बना दिया गया। रूचिवीरा को आजम खां का करीबी माना जाता है।
अंतिम समय में दिए गए पार्लियामेंट की मस्जिद के इमाम के टिकट पर भी विवाद बढ़ता। क्योंकि आजम खां के करीबी आसिम रजा ने भी पर्चा दाखिल कर दिया है। लेकिन पार्टी का सिंबल मोहिबुल्ला के पास ही था। मुरादाबाद में 2019 में बसपा छोड़ कर सपा में नासिर कुरैशी को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया तो सपा में ही विरोध शुरू हो गया। आखिर कर सपा ने बदलकर एसटी हसन को अपना प्रत्याशी बनाया था।
प्रचार को लेकर भी असमंजस
कब शुरू होगा प्रचार पहले चरण में पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें सात पर सपा और एक पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। लेकिन उसकी प्रचार की रणनीति क्या होगी? अखिलेश यादव अकेले प्रचार करेंगे या राहुल गांधी और अखिलेश यादव मिलकर इन सीटों पर प्रचार करेंगे, अभी कुछ भी तय नहीं हो सका है।