नई दिल्ली : साल 2019 के आखिर में दुनियाभर में शुरू हुई कोरोना महामारी ने हमारी सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। संक्रमण की रफ्तार भले ही अब काफी नियंत्रित है पर बड़ी संख्या में अब भी लोगों में पोस्ट कोविड और इससे संबंधित स्वास्थ्य जोखिम देखे जा रहे हैं। कुछ अध्ययनों में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि पहले की तुलना में अब स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। अब कई संक्रामक बीमारियों के गंभीर रूप देखे जा रहे हैं, जिसने स्वास्थ्य क्षेत्र पर बड़ा बोझ डाल दिया है।
महामारी के दौरान ब्लैक फंगस संक्रमण, मंकीपॉक्स के कारण भी बड़ी संख्या में लोगों को परेशान देखा गया, वहीं शोधकर्ता बताते हैं कि पहले की तुलना में अब लोगों में इम्युनिटी की समस्याएं भी बढ़ी हुई देखी जा रही हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि महामारी के बाद हमारी सेहत में किस तरह का परिवर्तन आया है? किन बीमारियों को लेकर डॉक्टर्स काफी चिंतित हैं।
कमजोर हो गई है लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली
कोरोना के बाद बढ़ी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर एम्स दिल्ली में बाल विभाग की सर्जन डॉ. शिल्पा शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी ने कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा दिया है। कोविड से ठीक हो चुके लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली की कमी से संबंधित दिक्कतें अधिक देखी जा रही हैं, लिहाजा वायरल संक्रमण, त्वचा की एलर्जी, कोलेसिस्टिटिस, एपेंडिसाइटिस जैसी दिक्कतों के मामले पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं। वायरल संक्रमण के मामले अब 3-4 दिनों की अवधि से अधिक समय तक बने हुए देखे जा रहे हैं।
लगभग हर उम्र के व्यक्तियों में इस प्रकार के संक्रामक रोगों के मामले देखे जा रहे हैं।
हार्ट अटैक का जोखिम
कोरोना के बाद बढ़े हार्ट अटैक के जोखिमों को लेकर डॉ शिल्पा ने बताया हृदय रोगों की समस्याएं भी कोरोना महामारी के बाद से तेजी से बढ़ी हैं। इसके लिए डिहाइड्रेशन और ब्लड क्लॉटिंग बड़ा जोखिम हो सकती है। कई ऐसे मामले हैं जहां पर जिम में अचानक दिल का दौरा पड़ने से लोगों की मौत हो गई।
कोरोना संक्रमण का शिकार रहे अधिकतर लोगों में हार्ट की समस्याएं देखी जा रही हैं, एहतियातन सभी लोगों को डॉक्टर से मिलकर हृदय स्वास्थ्य की अच्छे से जांच जरूर करा लेना चाहिए।
पोस्ट कोविड और इसके जोखिमों को लेकर अलर्ट
पोस्ट कोविड और लॉन्ग कोविड के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर अध्ययनों में लगातार अलर्ट किया जाता रहा है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग ने एक अध्ययन में बताया कि मार्च 2020 और मार्च 2022 के बीच कोविड-19 से ठीक होने वाले लगभग 6% रोगियों की जुलाई 2023 तक मृत्यु हो गई थी। 61-80 आयु वर्ग में लगभग 20% मौतें हुईं और 40 और उससे कम उम्र वालों में मृत्युदर एक प्रतिशत के करीब रही है।
इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण का शिकार रहे लोगों में ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक कई प्रकार की दिक्कतें बनी हुई देखी जा रही हैं।
कोमोरबिडिटी के शिकार लोगों में अधिक दिक्कतें
अध्ययन की रिपोर्ट से पता चलता है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए लोगों में से 41 फीसदी को अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी। इनमें से ज्यादा लोगों को कोमोरबिडिटी की शिकायत थी। इनमें से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा देखी गई।
अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया, कोरोना वायरस ने सेहत को कई प्रकार से प्रभावित किया है। इसके कारण होने वाली गंभीर जटिलताओं के मामले भी अधिक देखे जाते रहे हैं। महामारी ने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जिस तरह से प्रभावित किया है उसके कारण भविष्य में जोखिमों के बने रहने की भी आशंका है।