नई दिल्ली : आईएसएस के अंदर एक सुपरबग के होने की जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने एंटरोबैक्टर बुगंडेंसिस नामक एक बहु दवा प्रतिरोधी बैक्टेरिया को पाया है। यह आईएसएस के बंद वातावारण में विकसित होकर अधिक प्रभावशाली हो चुका है।
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मौजूद नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और क्रू के आठ अन्य सदस्यों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल, आईएसएस के अंदर एक सुपरबग के होने की जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने एंटरोबैक्टर बुगंडेंसिस नामक एक बहु दवा प्रतिरोधी बैक्टेरिया को पाया है। यह आईएसएस के बंद वातावारण में विकसित होकर अधिक प्रभावशाली हो चुका है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक बहु दवा प्रतिरोधी बैक्टेरिया है, जिसकी वजह से इसका नाम सुपरबग रखा गया है। यह बैक्टेरिया श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है।
सुनीता विलियम्स अपने सहयोगी बुच विल्मोर के साथ छह जून को नए बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से आईएसएस पहुंची थीं। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में रहने वाले सात लोगों के साथ विलियम्स और विल्मोर करीब एक सप्ताह रहेंगे। इस दौरान वह अंतरिक्ष में रहकर अलग-अलग परीक्षणों में मदद करेंगे और वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। सात अन्य क्रू सदस्य पहले से ही आईएसएस पर रह रहे हैं।
आईएसएस पर चिंता का विषय अंतरिक्ष में उड़ने वाले मलबे और सूक्ष्म उल्कापिंड होते हैं, लेकिन अब सुपरबग की चिंता बढ़ा दी है। आईएसएस में सुपरबग की मौजूदगी पर नासा ने हाल ही में कहा था कि ई. बगएंडेसिस नाम का बैक्टेरिया, जिस पर कई दवाओं का असर नहीं होता है। उसकी 3 स्ट्रेन्स को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में अलग किया गया था। धरती पर मिलने वाले बैक्टेरिया से यह बिलकुल अलग है।
नासा की जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी कैलिफोर्निया की अध्यक्ष डॉ. कस्तुरी वेंकटेश्वर ने इस सुपरबग को लेकर कई जानकारियां दी हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, आईएसएस में किसी का भी जीवन आसान नहीं है। यहां मौजूद लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता पृथ्वी की अपेक्षा कम होने लगती है। इन हालातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आईएसएस में मौजूद यह सुपरबग एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं।