रायपुर, 12 दिसंबर 2025 — छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान अंतरराष्ट्रीय संस्था International Institute for Sustainable Development (IISD) और Swaniti Initiative द्वारा तैयार की गई ‘Mapping India’s State Level Energy Transition: Chhattisgarh’ नामक रिपोर्ट का विमोचन किया। यह रिपोर्ट राज्य-स्तरीय ऊर्जा संक्रमण की दिशा, उपलब्ध संभावनाएँ और कार्बन-उत्सर्जन के नियंत्रण के उपायों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालती है। ([turn0news11])मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ को केवल कोयला-निर्भर ऊर्जा पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy), सौर ऊर्जा तथा ऊर्जा-दक्ष तकनीकों पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट ऊर्जा संक्रमण को व्यवस्थित, समयबद्ध और विज्ञान-आधारित तरीके से लागू करने में राज्य सरकार की सहायता करेगी।रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में ऊर्जा-क्षेत्र में सुधार के कई मार्ग हैं — उनमें सौर ऊर्जा, बायोमास, पवन ऊर्जा और ग्रिड-इंटीग्रेशन शामिल हैं। रिपोर्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ऊर्जा-उत्पादन में कार्बन-उत्सर्जन को कम किया जाए और छत्तीसगढ़ को ऊर्जा-आत्मनिर्भर, हरित और टिकाऊ ऊर्जा मॉडल में बदलने के लिए ठोस उपाय अपनाए जाएँ।यह दस्तावेज़ राज्य की वर्तमान ऊर्जा-उपस्थिति, संसाधन-आधार और भविष्य की ऊर्जा-नीति के लिये सुझाव रखता है कि किस प्रकार राज्य में ऊर्जा-उत्पादन, वितरण और खपत को पारदर्शी, लागत-प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल बनाया जा सकता है। इसमें बताया गया है कि कैसे पारंपरिक कोयला-आधारित ऊर्जा उत्पादन से हटकर नवीकरणीय विकल्पों को अपनाने से आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और कम कार्बन-प्रभाव वाले विकास को बढ़ावा मिलता है।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में सुझाए गए उपायों को लागू करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि तकनीकी नवीनता और निवेशशीलता राज्य की ऊर्जा स्थिति को और मजबूत बनाएं।विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ जैसे संसाधन-समृद्ध राज्य के लिये ऊर्जा-संक्रमण परिवार के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा-भंडारण, ऊर्जा-दक्षता और स्मार्ट-ग्रिड जैसे पहलुओं को अपनाना एक आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से लाभकारी कदम होगा। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-स्तरीय सौर ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित कर स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मिल सके।






