रायपुर Raipur : छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष शालिनी राजपूत ने कहा है कि मातृशक्ति के प्रति बहानेबाजी छोड़कर भूपेश बघेल सरकार दो टूक फैसला लेते हुए तत्काल स्पष्ट करें, कि शराबबंदी लागू करने के लिए उसकी नीति क्या है? तीन साल से एक फैसले को टरकाने की राजनीति की जा रही है। इस बीच शराब की खपत बढ़ गई। कोरोना सेस के नाम पर करीब 400 करोड़ की अतिरिक्त वसूली कर ली गई।
स्वास्थ्य पर एक धेला भी खर्च नहीं किया गया। शराब पीने की लत का एक नई पीढ़ी भी शिकार हो गई, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कमेटीबाजी दिखा रहे हैं। वे यह घोषणा करें कि किस तारीख से शराबबंदी लागू करने वाले हैं अथवा शराब हाथ में लेकर ऐलान कर दें कि हमें माफ कर दें, हम शराब नहीं छोड़ सकते। इसकी कमाई से ही हम सरकार चला रहे हैं,नहीं तो छत्तीसगढ़ को तो हम गिरबी रख ही चुके हैं।
शालिनी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के हालिया बयान पर रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस में जितनी धपलियां हैं, उतने राग सुनाई पड़ते हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया कम पीने की सलाह देती हैं। शराब का जिम्मा सम्हाल रहे मंत्री कवासी लखमा कहते हैं कि चुनाव के तीन महीने पहले शराबबंदी लागू कर देंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि शराब पीकर आने वालों को महिलाएं घर में न घुसने दें। मां बहनें पहले ही शराब की वजह से गृहकलह से परेशान हैं उनका उत्पीड़न हो रहा है।
भूपेश बघेल शराबबंदी का वादा पूरा करने की जगह घरेलू विवाद के नए बीज बोने का ज्ञान बांट रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम आदिवासी संस्कृति का हवाला देकर कह रहे हैं कि प्रदेश में 60 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित है। जब कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा किया था तभी विरोध करते हुए मरकाम को कांग्रेस छोड़ देनी चाहिए थी। अब वे सत्ताधारी दल के मुखिया हैं तो उनका दायित्व है कि घोषणा पत्र में किये गए वादे पर अमल कराएं।