नई दिल्ली : कान हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। क्या आप जानते हैं कि कान सिर्फ सुनने में ही नहीं बल्कि शरीर के संतुलन को ठीक बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण कान से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। पिछले कुछ वर्षों में कम उम्र के लोगों में कम सुनाई देने या बहरापन की दिक्कत बढ़ने के मामले अधिक देखे जाते रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गड़बड़ दिनचर्या और ईयरफोन्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण कान की दिक्कतें भी काफी बढ़ती जा रही हैं। इसको लेकर सभी उम्र के लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
कानों की समस्याओं को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बड़ी जानकारी दी है। डॉक्टर कहते हैं, कानों की बीमारी उन लोगों में तेजी से बढ़ती हुई देखी जा रही है जो अक्सर कान से मैल निकालते रहते हैं। बार-बार कानों की सफाई करते रहने की आदत इस नाजुक अंग को न सिर्फ गंभीर क्षति पहुंचा सकती है, साथ ही कुछ स्थितियों में बहरेपन का भी कारण बन सकती है। हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस मनाया जाता है, आइए जानते हैं कि कानों की समस्या को लेकर विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कानों की सफाई पड़ न जाए भारी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कान के मैल को हटाने के लिए रुई के फाहे, ईयर पिक, पेन या उंगलियों का उपयोग करना कई प्रकार से हानिकारक हो सकता है, इससे सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है। एसोसिएशन ऑफ ओटोलरींगोलॉजिस्ट (एओआईएनटी सर्जन) द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि शहर में हर महीने सैकड़ों ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां लोग अनजाने में अपने कानों को नुकसान पहुंचा चुके होते हैं। डॉक्टर कहते हैं, हमें कानों को अनावश्यक रूप से साफ करते रहने वाली आदत से बचना चाहिए।
जाने-अनजाने कान को पहुंचा सकते हैं नुकसान
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, इंसानों के कान में सेल्फ क्लीनिंग तंत्र होता है इसलिए आपको नियमित रूप से इसे साफ करते रहने की आवश्यकता नहीं होती है। ईयरवैक्स या सेरुमेन, धूल और गंदगी के खिलाफ कान के पर्दों और आंतरिक हिस्सों के लिए एक प्राकृतिक रक्षक के रूप में कार्य करते हैं। इसे निकालते रहने से धूल और गंदगी सीधे कान के भीतर जाने का जोखिम रहता है।
इसके अलावा अनुचित रूप से सफाई करते रहने से कई बार अनजाने में वैक्स कान की गहराई तक चले जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पर्दों पर दबाव बढ़ जाता है। इस स्थिति में सुनने की क्षमता कम होने, कान में दर्द और संक्रमण का खतरा हो सकता है। गंभीर स्थितियों में ये बहरेपन जैसी समस्या को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में पुणे स्थित ईएनटी विशेषज्ञ डॉ प्रशांत श्रीवास्तव बताते हैं, हर महीने पांच-छह मामले प्रकाश में आते हैं जिन्होंने जाने-अनजाने खुद से ही कानों को क्षति पहुंचा ली होती है। हमें लगता है कि कान का वैक्स निकालने से कान साफ होता है पर यह भी समझना जरूरी है कि यही वैक्स धूल और अन्य चीजों को कान के भीतर जाने से बचाते हैं। कुछ लोगों के ईयर कैनल की बनावट थोड़ी टेढ़ी होती है जिससे सफाई के लिए ईयर पिक जैसी चीजों के उपयोग से कान की आंतरिक मांसपेशियों को क्षति पहुंचने का जोखिम हो सकता है।
कान साफ कराना चाहते हैं तो किसी विशेषज्ञ से मिलकर अच्छे से जांच कराएं और उनकी सलाह पर ही किसी तरीके को प्रयोग में लाना चाहिए। ईयरफोन्स के बढ़ते इस्तेमाल से भी कानों को नुकसान पहुंच रहा है, इससे भी बचाव किया जाना जरूरी है।
कानों में तेल डालने से बचें
डॉक्टर कहते हैं, एक बात का और भी ध्यान देना जरूरी है। बच्चों के कान में सरसों या किसी भी तेल डालने से बचना चाहिए। कान में तेल डालने से कोई फायदा नहीं होता है। इसके विपरीत इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। कान में किसी भी चीज को डालने से बचें। ये संवेदनशील अंग है जिसमें थोड़ी सी असावधानी से भी जोखिमों के बढ़ने का खतरा रहता है, इसलिए सतर्कता बरतते रहना आवश्यक है।
कान में कुछ समय से दर्द या कोई अन्य समस्या है तो बिना विशेषज्ञ की सलाह के किसी भी दवा या ड्रॉप डालने से भी बचना चाहिए, इससे भी नुकसान हो सकता है।