रायपुर:- कांग्रेस पार्टी 2028 के विधानसभा चुनाव फतह हासिल करने के लिए 2018 वाले फार्मूले की रणनीति तैयार करने में जुट गई है. 2028 के लिए जिस फार्मूले को तैयार किया जा रहा है. उसका कीवर्ड 2018 का चुनावी तैयारियों की मजमून की वह कड़ी है जिसने 15 साल पुरानी भाजपा को गद्दी से उतार कर कांग्रेस पार्टी को सत्ता की चाबी थमा दी थी.
28 में 18 वाला फार्मूला:
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव अभी काफी दूर है. करीब करीब साढ़े तीन साल का वक्त अभी चुनाव में शेष है. बीजेपी सरकार को किसी तरह का कोई सियासी खतरा भी दूर दूर तक नहीं है. उसके बावजूद भी जिस तरह से कांग्रेस पार्टी अपनी चुनावी तैयारियों को धार दे रही है उससे पार्टी का आक्रामक रुख साफ साफ नजर आ रहा है. कांग्रेस बार बार बीजेपी शासन की कमजोर नब्ज पकड़ने की कोशिश में है लेकिन सफलता हाथ नहीं लग रही है.
कांग्रेस की सियासी तैयारी: किसान जवान और संविधान जनसभा के जरिए कांग्रेस और खासकर प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरु कर दिया है. जनसभा के मंच से सचिन पायलट ने ऐलान किया कि कांग्रेस 2028 के विधानसभा चुनाव में 2018 वाला प्रदर्शन दोहराएगी और वापस जीत वाला करिश्मा उसे सत्ता में लेकर आएगी.
भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने किया था कमाल: 2018 के विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस गद्दी पर काबिज हुई उससे भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज भी चौंक गए. 2014 में मोदी की लहर में रफ्तार से दौड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी को इस बात का इल्म ही नहीं था छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार सत्ता से बाहर हो जाएगी.
कई सीटों पर क्लोज फाइट में हारी बीजेपी:
करीब दर्जन भर ऐसी सीटें 2018 विधानसभा चुनाव में रही जिसपर भाजपा क्लोज फाइट में हारी. जिन सीटों पर बीजेपी हारी में हार और जीत की मार्जिन काफी कम रही. निर्दलीय और जेसीसीजे के नेता अगर वहां वोट नहीं काटते तो बीजेपी को नुकसान कम होता.
2018 में बीजेपी की हार के कारण
किसानों को दो साल का बकाया बोनस नहीं देने का फायदा कांग्रेस ने उठाया.
किसानों के लिए कांग्रेस कर्जमाफी योजना लाई.
कर्ज माफी योजना से किसानों का वोट बैंक कांग्रेस की ओर खिसका.
बीजेपी ने कर्जमाफी का ऐलान नहीं किया.
महासमुंद से मोदी कर्जमाफी का ऐलान करेंगे किसानों को उम्मीद थी.
बीजेपी नेताओं ने कर्ज माफी की घोषणा की सिफारिश सीईसी से की थी.
बीजेपी लगातार एंटी इनकंबेंसी की शिकार हुई.
38 विधायकों का रिपोर्ट कार्ड बढ़िया नहीं था.
टिकट काटने की बात पर दिग्गजों ने अडंगा डाला.
सिर्फ 10 विधायकों के टिकट कटे.
कार्यकर्ता और जनता नाराज हो गई.
रिजल्ट में 15 सीटों में सिमट गई बीजेपी.
जेसीसीजे के चुनाव लड़ने से बीजेपी को नुकसान.
28 सीटों पर बीजेपी हारी जिसपर जोगी कांग्रेस का प्रभाव था.
जेसीसीजे कांग्रेस का वोट बैंक नहीं काट पाई.
संघ की बातों को पार्टी ने नहीं माना.
मना करने के बाद भी विधायकों को दोबारा टिकट दिया.
चुनाव में काफी हद तक संघ बीजेपी से दूर रही.
रमन सिंह के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना भारी पड़ा.
बीजेपी का एक वर्ग ऐसा था जो रमन सिंह को सीएम बनाने के खिलाफ था.