10वींऔर 12वींकी बोर्ड परीक्षा के लिए साल में दो बार शामिल होना कोई जरूरी नहीं है। यह ऐलान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “छात्रों के लिए साल में दो बार कक्षा 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा इसका मुख्य मकसद एकल अवसर के डर से होने वाले उनके तनाव को कम करना है। उन्होंने कहा कि सरकार कोशिश में जुटी हुई है कि छात्रों को कोचिंग की जरूरत न पड़े।
शिक्षा मंत्रालय के नए स्लेबस के मुताबिक, 11वीं और 12वीं के छात्रों को एक के बजाय दो भाषाएं पढ़ना होगा। छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिले। इसके लिए साल में कम से कम दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराई जाएंगी। छात्र सिर्फ एक बार ही बोर्ड एग्जाम में बैठने का ऑप्शन चुन सकते हैं।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने कहा था कि दो बोर्ड परीक्षा प्रणाली फिर से शुरू होने जा रही है। छात्रों को “समय और अवसर” दोनों देने के लिए अंतिम परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी। इसमें कहा गया था कि जब वे तैयार महसूस करें तो वे इसे दे सकते हैं।