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स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने शहीद दिवस, जानें इसका इतिहास
भारत सहित दुनिया के 15 देश अपने स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए शहीद दिवस मनाते हैं. और भारत में शहीद दिवस हर साल 30 जनवरी और 23 मार्च को भारत की स्वतंत्रता, गौरव, कल्याण और प्रगति के लिए लड़ने वाले पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है.
30 जनवरी को शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध हस्ती महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को शाम की प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे द्वारा की गई थी. उस समय वह 78 वर्ष के थे. इस दिन को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. वह भारत को एक धर्मनिरपेक्ष और एक अहिंसक राष्ट्र के रूप में बनाए रखने के प्रबल समर्थक थे, जिसके कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. 23 मार्च को भी शहीद दिवस के रूप में चिह्नित किया जाता है, क्योंकि उस दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी.
शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है?
शहीद दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी की समाधि, राजघाट पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री एक साथ आते हैं. सभी गणमान्य व्यक्ति महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके बहादुर योगदान को याद करते हैं. देश के सशस्त्र बल के जवान और अंतर-सेवा आकस्मिक शहीदों को सम्मानजनक सलामी देते हैं. जगह पर एकत्रित लोग बापू और देश के अन्य शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखते हैं.
30 जनवरी 1948 को हुई थी महात्मा गांधी की हत्या
30 जनवरी 1948 की शाम करीब 5.17 बजे महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला भवनमें शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए, फिर अपनी सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल से एक-एक कर तीन गोलियां उनके सीने में दाग दी.