नई दिल्ली : दुनियाभर में पशु-पक्षियों की लाखों प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें से कुछ जलचर होते हैं, कुछ उभयचर। इस लेख में हम एक ऐसे जानवर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो कई मामलों में खास है।
हम बात कर रहे हैं- हिप्पोपोटामस की, इसे दरियाई घोड़े के नाम से भी जाना जाता है। इस जानवर को लेकर इंटरनेट और सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें प्रचलित हैं। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जाता रहा है कि दरियाई घोड़े के दूध का रंग सफेद की जगह गुलाबी होता है? क्या वास्तव में ऐसा है? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
हिप्पो के दूध का रंग
विशालकाय शरीर वाला ये जानवर अपने बड़े-बड़े दांतों के लिए जाना जाता है। हालांकि इनके बारे में जो बात सबसे ज्यादा चर्चा वाली होती है वो है- इनके दूध और पसीने का रंग। कहा जाता है कि इस जानवर का दूध गुलाबी रंग का होता है। पर क्या ऐसा है?
क्या कहते हैं रिपोर्ट्स?
लाइव साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान की प्रोफेसर और हिप्पो के संरक्षण को बढ़ावा देने वाली वैज्ञानिक रेबेका लेविसन कहती हैं, मैंने कभी नहीं सुना कि उनका दूध गुलाबी होता है, इसलिए यह एक अफवाह है। हालांकि उनके पसीने का रंग गुलाबी या हल्का लाल होता है।
जानवर की त्वचा में ऐसे कई यौगिक होते हैं, जो इसे दिलचस्प बनाते हैं। कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा जाता रहा है कि दरियाई घोड़े की त्वचा से ऐसा स्राव होता है जिसमें सनस्क्रीन-एंटीबायोटिक और रोगाणुरोधी यौगिकों का एक संयोजन हो सकता है जो उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक हिप्पो का पसीना श्लेष्मा ग्रंथियों से निकलने वाला एक तैलीय स्राव होता है। यही कारण है कि इसका रंग अलग हो सकता है। हिप्पोसुडोरिक एसिड और नॉर-हिप्पोसुडोरिक एसिड नामक दो रसायनों के संयोजन को इसका प्रमुख कारण माना जाता है। ये दोनों रसायन हिप्पो के स्वास्थ्य की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं।