कोरबा/कटघोरा:- छत्तीसगढ़ शासन वन मंत्रालय के नाक नीचे कटघोरा वनमंडल में होने वाली ज्यादातर भ्रष्ट्राचार सरकार को दिखाई नही दे रही। जिसके कारण इस वनमंडल के शीर्ष व मातहत अधिकारी से लेकर जमीनी स्तर के कर्मचारियों तक सभी खुले भ्रष्ट्राचार को अंजाम देते हुए दोनों हाथों से योजनाओं की राशि अर्जित करने में मस्त है। जिससे अनेक बहु उद्देशीय वन विकास योजनाएं दम तोड़ रही है, परंतु सरकार को ये घटनायें दिखाई नही पड़ रही है।
अपने भ्रष्ट्र कारनामे की वजह से पूरे प्रदेश भर में अच्छी- खासी सुर्खिया बटोरने वाले कटघोरा वनमंडल में चल रहे कमीशनखोरी व पैसों के बंदरबांट का सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा है। चाहे वो रोपणी कार्य हो, विभिन्न निर्माण अथवा मजदूरी भुगतान, हर तरफ से यहां के शीर्ष, मातहत अधिकारी व कर्मचारी अपनी जेबें गरम करने में मस्त है।लाखों का नही बल्कि करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है इन्हें ऐसा लगने लगा है कि सइयां भये कोतवाल तो…! कटघोरा वनमंडलाधिकारी के रूप में शमा फारुखी को शासन स्तर पर यहां की जवाबदारी सौंपे जाने के बाद से ही होने वाले अनेक घोटाले दर घोटाले तो जग जाहिर है, इसके उपरांत भी सिलसिले वार किए जा रहे घोटालेबाजी पर तनिक भी रोक नही लग पाना शासन स्तर के निष्क्रियतापन या मौन सहमति को उजागर करता है। कटघोरा वनमंडल के जटगा रेंज अंतर्गत कुटेश्वर नगोई में जंगल के भीतर 2018- 19 के मध्य स्टापडैम,तालाब निर्माण के लिए अधिकारियों को इस गांव अथवा इसके आसपास मजदूर नही मिले, और तब 60 कि.मी. दूर करतला विकासखण्ड के ग्राम सरगबुंदिया के मजदूरों से कार्य कराया गया, जिसका मजदूरी भुगतान हाल में किया गया है। जिसमे यहां की सरपंच व फारेस्ट गार्ड प्रघुम्न सिंह तंवर के परिजन, नातेदार तथा परिचित शामिल है। जिसमे 12 लाख का घोटाला होना बताया जा रहा है। इसी प्रकार ग्राम धजाक में डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के नाम पर 70 लाख का घोटाला सामने आया है। वहीं नरवा विकास के अंतर्गत ब्रुशबूट चेकडेम, लूज बोल्डर चेकडेम, गली प्लग, गेवियन संरचना, चेकडेम और स्टापडेम निर्माण के नाम पर भी पौने दो करोड़ का घोटाला, हद तो तब है जब कटघोरा वनमंडल में हों रहे इस घोटालों की शिष्टाचार रूपी खेल में 4- 6 माह पहले निर्मित कराए गए तालाबों के निर्माण में पत्रकार, पार्षद, हॉस्टल के छात्र, बिलासपुर व दूसरे क्षेत्रों में रहकर मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को मजदूर नामांकित कर उन्हें भुगतान के नाम पर 70 से 75 लाख का फर्जीवाड़ा किया गया है। और ऐसा क्यों न हो… जब डीएफओ सहित भ्रष्ट्र अधिकारियों पर उच्च स्तर का वरदहस्त हो तो भला कार्रवाई की हिमाकत कौन करें, और यदि करें भी तो खानापूर्ति स्वरूप छोटे स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिराकर अपने हाथों खुद अपनी पीठ थपथपाने जैसा रिवाज देखने को मिलता है। किंतु वर्तमान शासन की प्रशासनिक व्यवस्था से विपक्षी पार्टी खासी प्रभावित, प्रसन्नचित है तथा उत्साहित नजर आ रही है, और उन्हें लगता है कि वर्तमान व्यवस्था आगे भी बनी रहे, ताकि आने वाले चुनाव में उनकी नैया आसानी से पार लग जाए। ऐसा नही है कि घट रही घटनाओं को जनता भी नही जानती, बल्कि शासन- प्रशासन से कहीं ज्यादा आम जनता समझने लगी है।
जनता के बीच सरकारी संवेदनशीलता का नारा खोखला साबित होता चले आने के साथ ही शासन की छवि पर गहरा दाग लगता जा रहा है परंतु कटघोरा कोरबा,बनमंडल की सिकायत कहीं नहीं सुनी जा रही अधिकारी अपनी अनैतिकताओं में मसगूल।