*रायपुर:-* परम्परा के अनुसार, कुछ लोग नवरात्रि की अष्टमी को और कुछ लोग नवमी को मां दुर्गा की विशेष पूजा और हवन करने के बाद कन्या पूजन करते हैं। नवरात्रि की महाअष्टमी 22 अक्टूबर और महानवमी तिथि 23 अक्टूबर को है। अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी और नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन तिथियों पर बेहद शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2 से 3 बजे तक रहेगा।नवमी तिथि पर- सुबह 10 बजकर 15 मिनट से 11 बजकर 15 मिनट तक. इसके बाद दोपहर 4 से 6 बजे तक रहेगा।इस बात का ध्यान रखें कि, कन्या पूजन में दो से नौ वर्ष की आयु की कन्याओं का ही पूजन किया जाए और साथ में एक बटुक भी यानी नौ कन्याओं के साथ एक बटुक रूप बालक अवश्य होना चाहिए। क्योंकि मां की पूजा भैरव पूजा के बिना अधूरी है। इसी प्रकार कन्या पूजन में भी एक बटुक होना अनिवार्य है।दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या को कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छह वर्ष की कन्या को कालिका, सात वर्ष की कन्या को शाम्भवी और आठ वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा गया है।