नई दिल्ली। ‘रामचरितमानस’ को तुलसीदास जी ने रचा है। इसे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है। इसमें लिखी चौपाइयां हर व्यक्ति को सीख देती हैं। इसको पढ़कर व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं से लड़ने का हल खोज सकता है। आज आपको तीन ऐसी चौपाइयां बताएंगे जिनको पढ़कर आप पर प्रभु राम का आशीर्वाद बना रह सकता है।
श्रीरामचरित मानस की चौपाई
हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
इस चौपाई में तुलसीदास जी ने भगवान श्री राम के बारे में बताया है। उन्होंने वह अनंत हैं। उनका न कोई आदि है और न ही अंत है। कोई भी मनुष्य उनके सुंदर चरित्र को नहीं बता सकता है।
जा पर कृपा राम की होई ।
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥
इस चौपाई में तुलसीदास जी ने कहा है कि प्रभु श्री राम जी की कृपा उन व्यक्तियों पर पड़ती है, जो झूठ और माया से दूर रहते हैं। वह जिनको आशीर्वाद देते हैं, उन पर किसी भी तरह की परेशानी नहीं पड़ती है।
‘तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।।
इस दोहे में तुलसीदास जी ने कहा है कि मनुष्य का शरीर खेत के समान है। मन उसके खेत में किसान की तरह काम करता है। किसान अपने खेत में जैसा बीज बोता है, वैसा फल मिलता है। उसी तरह व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल पाता है।