नई दिल्ली: सुरक्षाबल नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें कुचलने की तैयारी कर रहा है. छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने अपना अभियान और तेज कर दिया है. खुफिया इनपुट मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य में छिपे नक्सल कैडर को निशाना बनाकर “लक्षित तलाशी अभियान” शुरू कर दिया है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक जीपी सिंह ने हाल ही में छत्तीसगढ़ का दौरा कर नक्सल विरोधी अभियानों की समीक्षा की.एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को नई दिल्ली में कहा, “गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशों के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने बड़े पैमाने पर नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया है, जिसमें कहा गया है कि मार्च 2026 तक माओवादियों का सफाया कर दिया जाना चाहिए.”कितनी गिरफ्तारी हुईः सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 15 से 28 फरवरी के बीच आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ से 24 माओवादियों को पकड़ा गया है. गिरफ्तार किये गये कुल 24 माओवादियों में से 22 छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किये गये.
जबकि, आंध्र प्रदेश से दो माओवादियों को गिरफ्तार किया गया. आंकड़ों के अनुसार, इसी अवधि के दौरान झारखंड से 10 और छत्तीसगढ़ से चार यानी कि कुल 14 हथियार भी बरामद किए गए.13 मार्च, 2025 को सुरक्षा बल झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान बरामद विस्फोटकों को प्रदर्शित करते हुए. (PTI)वामपंथ हिंसा में आयी कमीः2023 में 486 की तुलना में 2024 में 374 हिंसक घटनाएं दर्ज की गयींछत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 267 घटनाएं हुईं.छत्तीसगढ़ में 2024 में 122 नागरिक और सुरक्षा बलों की मौत हुई.2010 में दर्ज 343 की तुलना में इस आंकड़े में 64 प्रतिशत की कमी देखी गई.2020 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की 470 घटनाएं दर्ज की गईं थी2021 में घटकर 361 हो गईं.2022 में इन घटनाओं में थोड़ी वृद्धि हुई और यह संख्या 414 हो गई.
उग्रवाद प्रभावित राज्यों को मिलता फंडः सुरक्षा संबंधी व्यय योजना (एसआरई) के तहत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को धनराशि उपलब्ध कराई जाती है. जिसमें वामपंथी उग्रवाद हिंसा में मारे गए नागरिकों और सुरक्षा बलों के परिवारों को अनुग्रह राशि, सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण और परिचालन संबंधी आवश्यकताएं, आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवाद कैडरों का पुनर्वास, सामुदायिक पुलिस व्यवस्था, वामपंथी उग्रवाद द्वारा संपत्ति के नुकसान के लिए सुरक्षा बल कार्मिकों/नागरिकों को मुआवजा आदि शामिल होता है. इस योजना के अंतर्गत पिछले 5 वर्षों (2019-20 से अब तक) में सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 1925.83 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं
.गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में संसद को सूचित किया, “इस योजना के तहत पिछले 5 वर्षों (2019-20 से अब तक) के दौरान सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 394.31 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसमें छत्तीसगढ़ के लिए 85.42 करोड़ रुपये शामिल हैं. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के लिए छत्तीसगढ़ के लिए 147 सहित 702 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन (FPS) स्वीकृत किए गए हैं. इनमें से छत्तीसगढ़ में 125 सहित 612 FPS का निर्माण किया जा चुका है.”विशेष केंद्रीय सहायताः वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित अधिकांश जिलों में विकास को और अधिक गति देने के लिए, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सेवाओं में महत्वपूर्ण अंतराल को भरने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के अंतर्गत राज्यों को धनराशि प्रदान की जाती है. राय ने कहा कि इस योजना के तहत पिछले 5 वर्षों (2019-20 से अब तक) के दौरान सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 2384.17 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.
इसमें छत्तीसगढ़ के लिए 773.62 करोड़ रुपये शामिल हैं.anti naxal operationsसदन में बयान देते गृह राज्य मंत्री.।)’राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’: इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद प्रबंधन के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सहायता योजना के तहत पिछले पांच वर्षों (2019-20 से अब तक) के दौरान केंद्रीय एजेंसियों को हेलीकॉप्टरों और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए 654.84 करोड़ रुपये दिए गए हैं. वामपंथी उग्रवाद की समस्या का समग्र रूप से समाधान करने के लिए 2015 में एक ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी गई थी. इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों आदि को शामिल करते हुए एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है.
)सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण पर खर्चः सुरक्षा के मोर्चे पर, भारत सरकार (जीओआई) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बटालियन, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए प्रशिक्षण और धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करने, किलेबंद पुलिस स्टेशनों के निर्माण आदि के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की सहायता करती है. विकास के मोर्चे पर, प्रमुख योजनाओं के अलावा, भारत सरकार ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहल की हैं, जिनमें सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार संपर्क में सुधार, कौशल और वित्तीय समावेशन पर विशेष जोर दिया गया है.
)उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या घटीः राय ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप भौगोलिक विस्तार और हिंसा दोनों के संदर्भ में वामपंथी उग्रवाद में लगातार गिरावट आई है. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. लगातार सुधरती स्थिति को देखते हुए पिछले छह वर्षों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की तीन बार समीक्षा की गई है. अप्रैल 2018 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 90 रह गई, जुलाई 2021 में यह संख्या 70 हो गई और फिर अप्रैल 2024 में यह संख्या 38 हो गई.