नई दिल्ली : अधिकांश इलाकों में आसानी से पाए जाने वाला मकोय का पौधा आयुर्वेद में काफी महत्व रखता है. यह फल विटामिन सी अच्छा स्रोत माना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम सोलेनम निग्रम है. इसका सेवन करने के अनेकों फायदे हैं. हाट बाजारों में अक्सर चर्म रोग, लीवर के पेशेंट मकोय को खोजते हैं, जिसकी काफी डिमांड भी रहती है।
चर्म रोग के लिए फायदेमंद
मकोय का फल देखने में छोटा होता है, लेकिन काफी फायदेमंद है. इसका सेवन आप काढ़ा बनाकर भी कर सकते हैं. आप इसे सीधे कच्चा भी खा सकते हैं. ये औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण किडनी, सूजन, बवासीर, दस्त या कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में कारगर है. इसकी हरी पत्तियों में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिसके काढ़े का नियमित सेवन लीवर के लिए काफी फायदेमंद होता है।
2-3 साल में आता है फल
इस फल की खेती करने के लिए मकोय पौधों को खेत में तैयार किए गड्ढे में लगाया जाता है. मकोय की खेती मिश्रित खेती की तरह की जाती है. इसलिए इसके पौधों मे फल आने में कम से कम 2 से 3 साल का समय लगता है।
औषधीय गुणों से भरपूर
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. ब्रजेश कुलपारिया ने बताया कि आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है. ये विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है. इसके अलावा ये लीवर, किडनी पर भी काम करता है. स्किन डिसऑर्डर में भी इसका काफी उपयोग किया जाता है. ये एंटीऑक्सीडेंट का भी काम करता है. इसे सीधे भी खाया जा सकता है।