धूल उड़ता देखें, तो तुरंत पहन लें मास्क, वरना हो सकती हैं ये 5 परेशानियांधूल कई प्रकार से हमारे सांसों में घुलकर जहर का काम करता है, इसलिए बेहतर है कि आप इससे जुड़ी बीमारियों को पहचानें, साथ ही इनसे बचने के उपाय भी जरूर करें.धूल उड़ता देखें, तो तुरंत पहन लें मास्क, वरना हो सकती हैं ये 5 परेशानियां
गर्मी के मौसम में धूल उड़ना आम बात है. इस दौरान दिन लंबा होता है, इसलिए बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम भी जोरों से होता है, ऐसे में डस्ट पॉल्यूशन भी बढ़ जाता है, और सांस लेने में दिक्कतें आने लगती है. धूल के ये कण हमारी सेहत पर और भी कई तरीके से नेगेटिव इफेक्ट डाल सकते हैं. आइए जानते हैं कि डस्ट की वजह से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं.
1. अस्थमाअस्थमा सांस से जुड़ी बीमारे है जो धूल के कणों के संपर्क में आने से बढ़ सकती है. धूल में मौजूद माइट्स, पराग, और अन्य एलर्जेन अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकते हैं. इसके लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, खांसी, और छाती में जकड़न शामिल हैं. धूल से बचाव के लिए मास्क जरूर लदाएं
2. एलर्जिक राइनाइटिसएलर्जिक राइनाइटिस एक बीमारी है, जिसे ‘हे फीवर’ भी कहा जाता है. ये डस्ट पार्टिकल्स, पराग, और दूसरे एलर्जेन की वजह से होता है. इसके लक्षणों में नाक बहना, छींक आना, नाक बंद होना और आंखों में खुजली शामिल हैं.धूल से बचने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना और घर में नमी को कंट्रोल में रखना मददगार साबित हो सकता है.
3. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीजसीओपीडी एक सीरियस रिस्पिरेटरी डिजी है जो लंबे समय तक धूल और धुएं के संपर्क में रहने से होता है.ये फेफड़ों की बीमारी है जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती ह. इसके लक्षणों में लगातार खांसी, बलगम बनना और सांस फूलना शामिल हैं.
4. सिलिकोसिससिलिकोसिस एक पेशेवर बीमारी है, जो धूल में मौजूद सिलिका कणों के लगातार संपर्क में आने से होती है. यह फेफड़ों में सूजन और टिश्यूज के लॉस का कारण बनता है. इसके लक्षणों में खांसी, सांस फूलना और थकान शामिल हैं. खदानों, कंस्ट्रक्शन साइट्स और सिलिका वाली फैक्टी में काम करने वालों को इस बीमारी का बड़ा खतरा होता है.
5. डर्मेटाइटिसडर्मेटाइटिस एक स्किन डिजीज है, जो धूल और उसमें मौजूद रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आने से होता है. ये त्वचा में जलन, खुजली, और लाल चकत्तों का कारण बनता है. डस्ट फ्री एनवायरनमेंट बनाए रखना और त्वचा की नियमित सफाई करना इससे बचाव के लिए आवश्यक है.