जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही की विधिक सलाहकार महिला उत्पीड़न सदस्य,मानव अधिकार संगठन अध्यक्ष शोभा पाठक ने वर्तमान स्थित परिस्थितियों के अनुरूप मां की दशा पर चिंतन करते हुए मां का सम्मान कायम रखने प्रस्तुत कहानी के माध्यम से बदलाव लाने की सोच प्रस्तुत की है।
शरद ऋतु में सर्दियों के मौसम में ठंड से ठिठुरते एक बूढ़ी औरत अपने घर के कोने में ठंड से तड़प रही थी। जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था। घर मे एक छोटा बेटा था। बेटे के उज्ज्वल भविष्य के लिये उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया करती थी।
अक्सर काम करते करते बहुत थक जाती थी लेकिन फिर भी आराम नही करती थी। सिर्फ हमेशा आशन्वित एक बात याद करके फिर काम मे लग जाती थी कि जिस दिन बेटा लायक हो जाएगा तभी आराम करेगी।
देखते देखते समय बीतता गया माँ बूढ़ी हो गयी और बेटे को एक अच्छी नौकरी मिल गयी कुछ समय बाद बेटे की शादी कर दी और एक बच्चा हो गया ।
अब बूढ़ी माँ बहुत खुश थी उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया उसका बेटा लायक हो गया अब उसका बेटा उसकी हर ख्वाहिश पूरी करेगा।
लेकिन ये क्या …
बेटे और बहू के पास माँ से बात करने तक का वक्त नही होता था।
बस इतना फर्क पड़ा था माँ के जीवन मे कि पहले वो बाहर के लोगो के जूठे बर्तन धोती थी अब अपने बेटे और बहू के जूठन साफ कर शेष जीवन के पल काट रही थी।
परिवर्तन सिर्फ इतना हुआ कि पहले वो बाहर के लोगो के कपड़े धोती थी अब अपनी बहू और बेटे के फिर भी खुश थी।
क्योंकि …
औलाद तो उसकी थी। सर्दियों का मौसम आ गया था एक टूटी चार पाई पर घर के बिल्कुल बाहर वाले कमरे में एक फ़टे कम्बल में सिमटकर माँ लेटी थी और सोच रही थी कि आज बेटा आएगा तो उससे कहूंगी कि तेरी माँ को बहुत ठंड लगती है एक नया कम्बल लाकर दे दे।
शाम को बेटा घर आया तो माँ ने बोला- बेटा ! ठंड बहुत बढ़ गई है, मुझे बहुत ठंड लगती है और बात ठंड की नही है मैं बूढ़ी हो गयी हु इसलिए शरीर मे जान नही है इस फ़टे कम्बल में ठंड रुकती नही है बेटा कल एक कम्बल लाकर दे दे।
बेटा गुस्से से बोला इस महीने घर के राशन में और बच्चे के एडमीशन में बहुत खर्चा हो गया है, पोते को स्कूल में एडमिशन कराना है कुछ पैसे है लेकिन उससे बच्चे का स्वेटर लाना है,
तुम्हारी बहु के लिए एक शॉल लाना है! तुम तो घर मे ही रहती हो सहन कर सकती हो,! हमे बाहर काम करने के लिए जाना होता है सिर्फ दो महीने की सर्दी निकाल लो अगली सर्दी में देखेंगे।
बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप उस कम्बल में सिमटकर सो गई।
अगली सुबह देखा तो माँ अब इस दुनिया मे नही थी बेटे ने सबको खबर दी कि माँ अब इस दुनिया मे नही है सभी रिश्तेदार, दोस्त पड़ोसी इकठ्ठे हो गए बेटे ने मां की अंतिम यात्रा में कोई कमी नही छोड़ी थी।
माँ की बहुत बढ़िया अर्थी सजाई थी बहुत महंगा शाल माँ को ओढाया था।सारी दुनिया माँ का अंतिम संस्कार देखकर कह रही थी हमें भी हर जन्म में भगवान ऐसा ही बेटा दे *_मगर उनलोगों को क्या पता कि मरने के बाद भी एक माँ ठंड से तड़प रही थी सिर्फ एक कम्बल के लिए..._*
*मित्रों अगर आपके माँ बाप आज आपके साथ है तो आप बहुत भाग्यशाली है आज आप जो कुछ भी हो वो उन्ही की मेहनत त्याग और आशीर्वाद से हो। जीते जी अपने माँ बाप की सेवा करना आपका पहला कर्तव्य है क्योंकि उन्होंने आपके लिए अपना पूरा जीवन दे दिया है ।*
अपने माता पिता की जीते जी इज्जत करें,प्रेम करें! औरों को भी सचेत जागरूक करें।