नई दिल्ली : दुनिया में कई रत्न हैं, जो बेहद महंगे बिकते हैं। इनमें कोहिनूर हीरा और होप डायमंड सबसे ऊपर हैं। इन रत्नों की कीमतों को अदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। इन विशिष्ट रत्नों की चमक बेहद खास होती है। कोहिनूर हीरा और होप डायमंड काफी बड़े हैं। इनके मुकाबले में दुनिया का कोई रत्न नहीं है। ब्रिटिश क्राउन ज्वेलस की कोहिनूर शोभा है, जिसका वजन 105.60 कैरेट है।
वाशिंंगटन की स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में होप डायमंड रखा गया है। इसका वजन 45.52 कैरेट है। इन हीरों की उत्पत्ति को लेकर सवाल किए जाते हैं। कोहिनूर को लेकर कई तरह की कहानियां बताई जाती हैं। दावा किया जाता है कि इन हीरों को 1600 से 1800 के बीच दक्षिणी भारत में खोजा गया था। इसके बाद इनको ब्रिटेन और दूसरे देशों में पहुंचा दिया गया। अब वैज्ञानिकों ने पहली बार इनकी उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाने का दावा किया है।
कोहिनूर को क्यों कहा जाता है शापित?
कोहिनूर हीरे को शापित बताया जाता है। यह हीरा जिस राजा के पास गया, उसकी मौत हो गई। कोहिनूर की तरह ही होल डायमंड, रीजेंट डायमंड की कहानियां भी काफी प्रसिद्ध हैं। लौवर म्यूजियम में रीजेंट डायमंड को रखा गया है। बताया जाता है कि इसे खनिक खदान से चुराकर लाया गया था। चोर ने इस हीरे को अपने पैर में घाव के अंदर छिपा लिया था। वैज्ञानिकों कहना है कि आमतौर पर इस तरह के हीरे नदी के किनारे तलछट में खोदे गए गड्ढों में मिलते हैं। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है, तो यह बाहर आ जाते हैं। इन इलाकों को किम्बरलाइट फील्ड कहते हैं।
भारत के इस राज्य में हुई इनकी उत्पत्ति
हाल ही में जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस में एक शोध प्रकाशित किया गया। इसमें दावा किया गया कि कोहिनूर समेत दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हीरे भारत के आंध्र प्रदेश के वज्रकरुर किम्बरलाइट फील्ड से 300 किलोमीटर दूर मिले हैं। भू-रसायन वैज्ञानिक याकोव वीस का कहना है कि पाया गया कि वज्रकरुर में जिस तरह की जमीन है, वह हीरों के लिए मजबूत आधार है। याकोव वीस यरूशलेम के हिब्रू विश्वविद्यालय में हीरों पर अध्ययन करते हैं। उन्होंने बताया कि यहां की मिट्टी का अध्ययन किया गया। इससे जानकारी मिली कि लिथोस्फीयर यानी कठोर परत और ऊपरी मेंटल में इस तरह के हीरों को रखने के पर्याप्त सबूत हैं। गोलकुंडा के हीरे मेंटल में ज्यादा गहराई में बने हैं। शायद धरती के केंद्र के आसपास इन हीरों का निर्माण हुआ होगा।
कहां से आ रहे बड़े हीरे?
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के भू वैज्ञानिकों हीरो कालरा, आशीष डोंगरे और स्वप्निल व्यास ने इस शोध को किया है। उन्होंने बताया कि धरती की गहराई से बड़े हीरे आ रहे हैं। वज्रकरुर इलाके की किम्बरलाइट चट्टानें संभवतः उस गहराई से उठी हैं, जहां पर हीरे बनते हैं। रिमोट सेंसिंग डेटा से जानकारी सामने आई है कि यहां एक प्राचीन नदी थी, जिससे हीरे कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियों तक बहकर गए और जहां पर यह मिले हैं।
उन्होंने कहा कि किसी को नहीं पता है कि यह हीरे पृथ्वी की सतह तक किस तरह पहुंचते हैं, लेकिन ज्वालामुखी विस्फोट होने पर धरती के गर्भ से बाहर आकर ऊपरी सतह में फंस जाते हैं। इसके बाद जब भी किम्बरलाइट विस्फोट होता है, तो यह धरती की सतह पर दिखने लगते हैं। कोहिनूर और अन्य हीरे भी ऐसे ही धरती से बाहर आए।






