नई दिल्ली : होली फ्राइडे यानी गुड फ्राइडे ईसाई समुदाय के लोगों का सबसे अहम त्योहार माना जाता है. कहा जाता है कि गुड फ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया था. यह वह दिन है जब ईसाई धर्म के लोग यीशु मसीह के क्रूस को याद करते हैं. गुड फ्राइडे लेंट के अंत का भी प्रतीक है, जिस दौरान ईसाई 40 दिनों तक उपवास करते हैं. ईसाई धर्म के कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं. इस दौरान मीट नहीं खाया जाता बल्कि फल, सब्जियां, फिश, दूध, अंडे और गेहूं को खाया जाता है.
लेकिन आपको भी ये पढ़कर थोड़ी हैरानी हो रही होगी कि गुड फ्राइडे वाले दिन मीट न खाकर सिर्फ फिश खाई जाती है. खैर, आज आपको इस फैक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं.
गुड फ्राइ़डे पर क्यों खाई जाती है फिश
ईसाई और कैथोलिक लोग इस दिन मांस नहीं खाते हैं. इसके बजाय ये लोग मछली खाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मछली एक समुद्र जीव है. यही वजह है कि इसे अलग तरह का मांस माना जाता है. मछली के आकार को एक सीक्रेट सिंबल भी माना जाता है. जब उनके धर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तो मछली के आकार से ही ईसाइयों ने एक दूसरे की पहचान की थी.
ईसा मसीह में विश्वास करने वाले लोगों मे कई मछुआरे भी थे. इसके अलावा, प्राचीन काल में मीट को एक विशेष व्यंजन के रूप में देखा जाता था, जबकि मछली एक ऐसी चीज थी जो न केवल आसानी से उपलब्ध थी बल्कि ज्यादातर लोग इसे खरीद सकते थे.इस दिन मछली खाने का एक अन्य कारण यह भी है कि इसे कोल्ड ब्लडेड माना जाता है.
गुड फ्राइडे पर स्पेशल डिशेज
गुड फ्राइडे के दिन खाया जाने वाले ‘हॉट क्रॉस बन पूरी दुनिया में मशहूर है. लोग इसे नाश्ते में अंडे की भुर्जी, श्रिंप, लॉबस्टर और फिश टैकोस के साथ खाते हैं. इस दिन चर्च एक कड़वी ड्रिंक को सिरके से तैयार किया जाता है. लोग चर्च में प्रार्थना करने के बाद इसे पीते हैं.