: शपथ ग्रहण में चीन-पाक को छोड़ मॉरिशस-सेशल्स जैसे छोटे देशों को क्यों बुलाया? ऐसी है मोदी सरकार की स्ट्रैटजी
निवर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी अपनी दूरदर्शी सोच और गहरी रणनीति बनाने के लिए जाने जाते हैं. अब उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में चीन, पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को छोड़ हिंद महासागर में बसे छोटे से द्वीपीय देशों मॉरीशस और सेशल्स को बुलाया है. क्या आप इसके पीछे की रणनीति के बारे में जानते हैं. Modi Government: शपथ ग्रहण में चीन-पाक को छोड़ मॉरिशस-सेशल्स जैसे छोटे देशों को क्यों बुलाया? ऐसी है मोदी सरकार की स्ट्रैटजी
भारत विश्वगुरु बनकर उभरा है. दुनिया ने भारत की मेहमान नवाजी पहले भी कई देखी है. अब एक बार फिर दुनिया के कई देश मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के साक्षी बनने आ रहे हैं. इनमें नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हैं, वो दिल्ली पहुंच चुकी हैं.
भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक भी शपथ ग्रहण के साक्षी बनेंगे. जबकि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू भी सुबह दिल्ली पहुंच रहे हैं. इनके अलावा श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ भी मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल हो रहे हैं. सेशल्स के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन भी भारत आ रहे हैं.मेहमानों का दिल्ली पहुंचना हुआ शुरूमोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए हमारे पड़ोसियों का दिल्ली में आना शुरू हो गया है.
सबसे पहले जिस पड़ोसी को भारत ने पाकिस्तान से आजादी दिलाई यानी बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना दिल्ली आई हैं. आपको बता दें कि पहली बार जब पीएम मोदी ने शपथ ली थी तो पाकिस्तान को भी न्यौता मिला था. लेकिन इस बार खास बात ये है कि जमीनी सरहद साझ करने वाले भूटान-नेपाल-बांग्लादेश के अलावा हिंद महासागर के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका, मालदीव, मॉरिशस और सेशल्स को भी आमंत्रित किया गया है.