नई दिल्ली : दुनियाभर में जारी कोरोना के खतरों के बीच अमेरिका के कुछ हिस्सों में पिछले दिनों घातक ‘जूनोटिक संक्रमण’ ह्यूमन लेप्टोस्पायरोसिस के मामले भी बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि ये बीमारी तेजी से फैल सकती है और इससे मौत का खतरा भी अधिक देखा जाता रहा है। यहां जानना जरूरी है कि जूनोटिक संक्रमण उन संक्रमणों को कहा जाता है जो मुख्यरूप से जानवरों और इंसानों के बीच में फैलते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अमेरिका के साथ-साथ भारत में भी इसके मामले पहले से ही देखे जाते रहे हैं। इस संक्रामक रोग के कारण मृत्युदर 5-15 फीसदी के बीच रहा है।
लेप्टोस्पायरोसिस को वेइल डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार न्यूयॉर्क शहर के विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी कर कहा है कि ये संक्रामक बीमारी विश्व स्तर पर देखी जा रही है। जिन स्थानों पर चूहे अधिक होते हैं वहां इसका खतरा भी अधिक देखा जाता रहा है। चूहों के मूत्र के संपर्क में आने के कारण इसका जोखिम हो सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षणों और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी गई है।
भारत में भी रहा है खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, भारत में भी इस संक्रामक रोग के मामले बढ़ते हुए देखे जाते रहे हैं। उल्लेखनीय मृत्युदर के कारण भारत लेप्टोस्पायरोसिस का हॉटस्पॉट रहा है। केरल, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे तटीय क्षेत्रों में इसके मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी बनी हुई है।
जिन स्थानों पर धान की खेती जैसी कृषि गतिविधियां होती हैं, भूमिगत सीवरों से जुड़े व्यवसाय होते हैं या जिन लोगों के घरों में चूहे होते हैं वहां इसका खतरा अधिक हो सकता है।
लेप्टोस्पायरोसिस और इसका खतरा
लेप्टोस्पायरोसिस मुख्यरूप से संक्रमित जानवरों से मनुष्यों को हो सकता है। इसके बैक्टीरिया त्वचा में घाव, आंखों और म्यूकस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। संक्रमण की स्थिति ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करने के साथ कुछ लोगों में इंसेफेलाइटिस जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है। कुछ लोगों में ये संक्रमण फेफड़ों को भी प्रभावित करता देखा गया है।
संक्रमण के लक्षणों पर ध्यान देना और इसके जोखिमों से बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहना जरूरी है।
लेप्टोस्पायरोसिस के कारण शरीर को कई प्रकार के नुकसान
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं। संक्रमण के बाद इसके लक्षण दिखने में आमतौर पर 5 से 14 दिन लग जाते हैं। संक्रमण की स्थिति में बुखार और ठंड लगने, खांसी आने, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द की समस्या लेकर कुछ लोगों को पीलिया भी हो सकती है।
गंभीर लक्षणों में किडनी और लिवर फेलियर की समस्या के साथ सांस लेने में दिक्कत होने, झटके आने और ब्रेन से संबंधित कई और भी प्रकार की समस्याओं के विकसित होने का खतरा हो सकता है।
कैसे करें इस गंभीर रोग के खतरे से बचाव?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस से सुरक्षित रहने के लिए जरूरी है कि संक्रमण का कारण बनने वाले जानवरों से बचाव किया जाए। मृत जानवरों को छूने से बचें। अगर आपके घर के आसपास चूहे रहते है तो इससे छुटकारा पाने उपाय करें। बाढ़ के पानी के संपर्क में आने वाली किसी भी चीज से दूरी बनाकर रखें। नदियों और झीलों के पानी को बिल्कुल न पिएं। अगर आपके शरीर पर किसी भी तरह का कोई घाव है तो उसे ढककर रखें।