हैदराबाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में अपने दूसरे कार्यकाल के पहले अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अगले महीने से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा की. राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका अन्य देशों से आयात पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाएगा।उन्होंने कहा कि भारत हमसे 100 फीसदी से ज्यादा टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करने जा रहे हैं. यानी 2 अप्रैल से भारतीय प्रोडक्ट्स पर डोनाल्ड ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू कर देंगे. ट्रंप ने कहा कि दूसरे देशों ने दशकों से अमेरिका के खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल किया.अब अमेरिका की बारी है .रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा टैक्स है जो एक देश दूसरे देश पर तब लगाता है, जब वह देश भी उसी तरह का टैक्स पहले देश पर लगाता है. मतलब, अगर एक देश दूसरे देश के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है, तो दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स लगा सकता है. इसका मकसद व्यापार में बैलेंस बनाना होता है.
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी भारत पर टैरिफ लगाया23 मार्च 2018 को भारत उन देशों में शामिल था, जिन पर ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा टैरिफ की मार सबसे पहले पड़ी. ट्रंप ने भारत से इम्पोर्ट 761 मिलियन डॉलर के स्टील पर 25और 382 मिलियन डॉलर के एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया.05 जून 2019 को ट्रंप ने भारत की विशेष व्यापार स्थिति को समाप्त कर दिया. ट्रंप प्रशासन ने भारत की तरजीही व्यापार स्थिति को समाप्त कर दिया, जो 1970 के दशक के एक कार्यक्रम का हिस्सा है जो विकासशील देशों के प्रोडक्टस को अमेरिकी बाजार में ड्यूटी फ्री एंट्री करने की अनुमति देता है. जवाब में भारत सरकार ने 16 जून, 2019 से अमेरिका से निर्यात किए जाने वाले 28 प्रोडक्ट्स पर जवाबी टैरिफ लगाया
.भारत पर टैरिफ का प्रभावसिटी रिसर्च के विश्लेषकों के अनुसार इससे संभावित वार्षिक घाटा 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. भारत में कई क्षेत्र विशेष रूप से असुरक्षित हैं. इनमें से कैमिक, मैटल प्रोडक्ट और आभूषण सबसे अधिक जोखिम में हैं.इसके बाद ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और फूड प्रोडक्ट का नंबर है. कृषि क्षेत्र भी जोखिम में है, खासकर अगर अमेरिका अधिक कृषि उत्पादों को शामिल करने के लिए टैरिफ का विस्तार करता है, जबकि कृषि में वर्तमान में व्यापार की मात्रा कम है, टैरिफ अंतर बड़े हैं, जिससे यह क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित है.SBI रिसर्च पेपर के बाद भारत अमेरिकी निर्यात पर कितना टैरिफ लगाता हैएस.नंबर वर्ष भारत पर अमेरिकी टैरिफ रेट अमेरका पर भारत के टैरिफ रेट2022 3.83 15.32021 3.91 12.522020 3.83 12.222019 3.84 13.422018 2.72 11.59क्या भारत वास्तव में एक टैरिफ किंग है?वित्त और राजस्व सचिव तुहिन कांता पांडे के अनुसार भारत को अमेरिका द्वारा टैरिफ किंग नहीं कहा जा सकता है.
पांडे ने कहा कि 8,562 टैरिफ लाइनों में से 6,500 10 प्रतिशत से नीचे, 7,600 15 प्रतिश से नीचे और 8,400 टैरिफ लाइनें 20 फीसदी से नीचे हैं. वर्तमान में 216 टैरिफ लाइनें हैं जिन पर 0 पर्सेंट शुल्क है, हमने इसे 2025-26 के बजट में बदलकर 260 कर दिया है. सरकार सीमा शुल्क को राजस्व के प्रमुख स्रोत के रूप में नहीं देख रही है. हमने 2 प्रतिशत की वृद्धि (वित्त वर्ष 26 में सीमा शुल्क संग्रह में) मान ली है. इसका मतलब है कि यह मुद्रास्फीति से कम है और 10.1 प्रतिशत की नाममात्र जीडीपी विकास दर से बहुत कम है.अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापारभारत के साथ अमेरिका का कुल माल व्यापार 2024 में अनुमानित 129.2 बिलियन डॉलर था. 2024 में भारत को अमेरिका का माल निर्यात 41.8 बिलियन डॉलर था, जो 2023 से 3.4 प्रतिशत ($1.4 बिलियन) अधिक था.
2024 में भारत से अमेरिका का माल आयात कुल 87.4 बिलियन डॉलर था, जो 2023 से 4.5 प्रतिशत ($3.7 बिलियन) अधिक था. 2024 में, अमेरिका को 1.2 ट्रिलियन डॉलर का माल घाटा था, लेकिन 300 बिलियन डॉलर का सर्विस सरप्लस था. भारत के माल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 17.7 प्रतिशत है, लेकिन भारत अमेरिका के आयात का केवल 2.7 प्रतिशत हिस्सा बनाता है.पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार सरप्लसअमेरिका को भारत का निर्यात 87.4 बिलियन डॉलर रहा, जबकि आयात 41.8 बिलियन डॉलर रहा. अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 के दौरान भारत ने अमेरिका के साथ 45.7 बिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्लस दर्ज किया. भारत का ट्रेड सरप्लस 2000 में 7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 45.7 बिलियन डॉलर हो गया
.ईयर इंडिया ट्रेड सरप्लस (बिलियन डॉलर में)2014 $23.92015 $23.32016 $24.42017 $22.92018 $21.12019 $23.72020 $24.22021 $33.52022 $38.62023 $43.32024 $ 45.7
भारत का व्यापार घाटाग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार जनवरी और जून 2024 के बीच भारत का 151 देशों के साथ ट्रेड सरप्लस था, जो इसके निर्यात का 55.8 प्रतिशत और आयात का 16.5 प्रतिशत था, जो कुल 72.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. भारत का 75 देशों के साथ व्यापार घाटा था, जो इसके निर्यात का 44.2 फीसदी और आयात का 83.5 प्रतिशत था, जिसके परिणामस्वरूप 185.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा हुआ, जो भारत के समग्र व्यापार घाटे से बहुत अधिक था.