मुंबई: केंद्र सरकार के कामकाज से जुड़े सोशल मीडिया पर फर्जी, गलत और भ्रामक जानकारी खत्म करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट नियमों को सही ठहराने से जुड़ी केंद्र के हलफनामे पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अपने रुख पर सरकारी अधिकारियों से परामर्श करने को कहा है। कोर्ट ने कहा, “आप अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर सकते है।
सोशल मीडिया मध्यस्थ को जब FCU द्वारा ‘नकली या झूठी सामग्री’ की सूचना दी गई, तब भी उस पर पोस्ट को हटाने का कोई दायित्व नहीं बनता है। कोर्ट ने कहा कि यदि मध्यस्थ कार्य नहीं करना चाहता है तो उसे न्यायिक अदालत में ले जाया जा सकता है, हाई कोर्ट ने पूछा कि जब प्रेस सूचना ब्यूरो की तथ्य जांच इकाई झूठी सामग्री को चिह्नित करने के लिए अभी भी मौजूद है।
इससे पहले, मेहता ने कहा था कि यह नियम इंटरनेट को रेग्युलेट करने के लिए जरूरी है, जहां सूचनाएं नैनोसेकंड में दुनिया भर में फ्लैश की जाती हैं।