नई दिल्ली : मोतिहारी में जो कहा उसका गलत मतलब निकाल लिया गया. मोतिहारी में विश्वविद्यालय बनाने की चर्चा थी. मोतिहारी में विश्वविद्यालय बनाने को लेकर हमने दवाब बनाया. मेरे कहने का मतलब बीजेपी के साथ का बिलकुल नहीं था. मेरे कहने का मतलब था कि जो काम हुआ है उसे याद रखिए. वहां सभी दलों के नेता मौजूद थे. मीडिया ने जो लिखा और दिखाया उससे दुख हुआ. ऐसे बयान छपेगा तो बोलना बंद कर दूंगा. मेरा कही किसी से संबंध नहीं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं, “सुशील मोदी पहले क्या थे? क्या आप सुशील मोदी के बारे में भूल गए?… वह यहां कब थे? उनके पिता को पटना विश्वविद्यालय का अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने को महासचिव बनाया गया. मैं इंजीनियरिंग कॉलेज में था और हमने उन्हें जिताया. यह सब पुरानी खबर है. जब हम साथ थे तो अच्छा काम कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है।
दरअसल सीएम नीतीश कुमार, अभी हाल ही में मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. नीतीश कुमार ने कहा था कि उनकी और बीजेपी की दोस्ती कभी खत्म नहीं होगी. दरअसल, सीएम नीतीश जिस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे, वहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भी मौजूद थे. इसके अलावा कार्यक्रम में कई बीजेपी नेता भी शामिल थे।
दीक्षांत समारोह के दौरान जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण देने की बारी आई तो उन्होंने कहा,’जितने लोग हमारे हैं, सब साथी हैं. छोड़िए ना भाई. हम अलग हैं आप अलग हैं. इसको छोड़ दीजिए. इससे क्या मतलब है. हमारा दोस्ती कहियो खत्म होगा? चिंता मत कीजिए, जब तक जीवित रहेंगे, तब तक आप लोगों से संबंध बना रहेगा. हम सब मिलकर काम करेंगे. यह बात उन्होंने राष्ट्रपति, राज्यपाल को देखते हुए और बीजेपी नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कही।
नीतीश कुमार के इस बयान के बाद भाजपा भी नीतीश को लेकर सॉफ्ट नजर आई थी. बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि नीतीश कुमार के साथ भाजपा की कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. सम्राट चौधरी ने हालांकि इतना कहा कि नीतीश कुमार जब तक तुष्टिकरण की राजनीति करेंगे तब तक बीजेपी उनका विरोध जरूर करेगी।
दरअसल, सीएम नीतीश कुमार को लेकर बीते कई दिनों से अटकलें लगाई जा रही हैं और उनके वापसी के कयास लग रहे हैं. सीएम नीतीश कई बार ऐसे कदम उठा चुके हैं, जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है. कभी वह धुर विरोधी हो चुके भाजपा नेता के घर अनायास ही खरना खाने चले जाते हैं. कभी वह पीएम मोदी से बहुत आत्मीयता से मिलते हैं. गठबंधन में जुड़े हैं, लेकिन राजद नेताओं से ही भिड़ जाते हैं. इसके अलावा वह पहले भी राजद का साथ छोड़कर एनडीए में जा चुके हैं तो बीजेपी से हाथ छुड़ा कर राजद के साथ नाता जोड़ चुके हैं।